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Showing posts with the label दर्द

एक लफ्ज

 की बदलती बातो में एक अलग ही नशा है, ना सुने तब तक ना जमीन है ना आसमा है चंद बातो का अपना ही एक अलग मजा है , फिर वही  मुकम्मल अपनी एक अलग सी सजा है...

एक लफ्ज

की एक पल के लिए भी आप डॉक्टर के पास जाओगे तो एक पल में ही आप अपनी जेब खाली पाओगे...

एक लफ्ज

की खत्म हुई फसल रोता किसान,  की ये कैसा जलजला है बारिश का  की हँसता हुआ किसान अब रोता है...

एक लफ्ज

की हाल ए दिल अब क्या बताए साहब , दरिया भी अपना ही है और डूब भी अपन ही रहे हैं...-इम्तियाज पटेल

एक लफ्ज

की वक्त की रहा में वो भी एक रोडा था, कि हमने भी क्या खूब मंजर देखा था। की देखा था जहाँ को हमने भी   क्या खूब सबने हमे भी तो अकेला छोड़ा था...-इम्तियाज पटेल।।

एक लफ्ज

के हाल है चलना अब क्या बताए साहब, की छालो का दर्द है, और दिल की नफ्जो से बस दूर है...-इम्तियाज पटेल।।