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Showing posts from November, 2020

एक लफ्ज

 में भी किसान हु ,तपता भी लू लहु में हु , उगता भी हु खिलाता भी हु दरिया हु दिल का पिघलता भी हु  क्योकि में एक किसान हु...

एक लफ्ज

नसा होना चाहिये आँखों में अदब का,      जमाने में अपनी अलग पहचान बनाने का , नसा होना चाहिये मर्दो का आँखों में अदब का, मर्दो को इस जमाने का सारा जहाँ कहते हैं...

एक लफ्ज

 की बदलती बातो में एक अलग ही नशा है, ना सुने तब तक ना जमीन है ना आसमा है चंद बातो का अपना ही एक अलग मजा है , फिर वही  मुकम्मल अपनी एक अलग सी सजा है...

एक लफ्ज

की ये गुजरती राते भी क्या गम देती है, दिल धडकता है.चांद चमकता है, की खुवाबो ही खुवाबो में ये रात बस निकल जाती है...

एक लफ्ज

की सत्य एक ही कडवा है , चाहे जमाने में कही बेठो या ना  बेठो लेकिन  कटींग की दुकान पर तो जरूर बेठो...

एक लफ्ज़

की लिख दु एक पल में  खुसी सारी, की कितनी हसीन थी वो बी.कॉम वाली जिंदगी, कि लम्हा दर लम्हा गुजर गया , आंखों के सामने से जैसे एक आधा  संसार निकल गया  engineering2  ...