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Showing posts from May, 2020

एक लफ्ज

की हाल ए दिल अब क्या बताए साहब , दरिया भी अपना ही है और डूब भी अपन ही रहे हैं...-इम्तियाज पटेल

एक लफ्ज

की वक्त की रहा में वो भी एक रोडा था, कि हमने भी क्या खूब मंजर देखा था। की देखा था जहाँ को हमने भी   क्या खूब सबने हमे भी तो अकेला छोड़ा था...-इम्तियाज पटेल।।

एक लफ्ज

के हाल है चलना अब क्या बताए साहब, की छालो का दर्द है, और दिल की नफ्जो से बस दूर है...-इम्तियाज पटेल।।