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एक लफ्ज

की कहु तो क्या कहु की लब पर आती है, बात तुम्हारी की आँखों में कसीस ही ऐसी है तुम्हारी  की आग लग जाये दिल में हमारी...

एक लफ्ज

कि किसी की खूबसूरती को चार चाँद लगाने के लिए, हमे पहले अपने दिल को चार चाँद लगाना पडता है...

एक लफ्ज

की हाल ए दिल अब क्या बताए साहब , दरिया भी अपना ही है और डूब भी अपन ही रहे हैं...-इम्तियाज पटेल

एक लफ्ज

की वक्त की रहा में वो भी एक रोडा था, कि हमने भी क्या खूब मंजर देखा था। की देखा था जहाँ को हमने भी   क्या खूब सबने हमे भी तो अकेला छोड़ा था...-इम्तियाज पटेल।।

एक लफ्ज

के हाल है चलना अब क्या बताए साहब, की छालो का दर्द है, और दिल की नफ्जो से बस दूर है...-इम्तियाज पटेल।।

एक लफ्ज

  के थिरकता जहाँ अचानक थम गया, की जान अपनी बचाने के लिए हर इंसा घर बेठ गया...-इम्तियाज पटेल                         ...एक लफ्ज...

एक लफ्ज

के रख कर ताक पर अपना हौसला हम भी बेजुबां पर चल दिये,  की वक्त ए मंजर खुदा हम भी खुद पर हंस दिए...-इम्तियाज पटेल ।।